Wednesday, May 15th, 2024

डिप्टी रजिस्ट्रार और प्रोफेसरों के हवाले प्रदेश भर के विश्वविद्यालय 

प्रदेश की मुख्यधारा में चलने वाले विश्वविद्यालयों से रजिस्ट्रार को हटा दिया है। उनके स्थान पर डिप्टी रजिस्ट्रार और प्रोफेसर को विवि की कमान सौंपी गई है। एक-एक कार रजिस्ट्रार सेवानिवृत्त हो रहे हैं और विभाग डीपीसी नहीं कर रहा है। इसलिए बचे खुचे रजिस्ट्रारों को विभाग ने दरकिनार कर दिया है। इससे मुख्यधारा में चलने वाले विवि की व्यववस्था चौपटा होना तय है। 

मुख्यधारा के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में डीआर अजीत श्रीवास्तव, जीवाजी विवि ग्वालियर में डीआर आईके मंसूरी,  देवी अहिल्या विवि इंदौर में डीआर अनिल शर्मा, एपीएस विवि रीवा में लाल साहब सिंह, विक्रम विवि उज्जैन डीआर एसके बग्गा, भोज मुक्त विवि में एचएस त्रिपाठी रजिस्ट्रार के प्रभार में है। विभाग रजिस्ट्रार के 25 फीसदी प्रोफेसरों को प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ कर सकते हैं। इसलिए विभाग ने महाराजा छत्रसाल विवि छतरपुर में पुष्पेंद्र पटेरिया, शहडोल विवि में भी एक प्रोफेसर को प्रभार दिया गया है। आरडीविवि जबलपुर में प्रो. कमलेश मिश्रा को रजिस्ट्रार बनाया है। रजिस्ट्रार की योग्यता पर सवाल उठाते हुए विभाग ने उन्हें मुख्यधारा के विवि से बाहर किया है। 


मुख्यधारा से हटाकर बैठाया 
विभाग ने मुख्यधारा से हटे विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार को पदस्थ किया है। इसमें अंबेडकर विवि महू में मनोज तिवारी,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि में डॉ. बी भारती, महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि चित्रकूट में राकेश सिंह, संस्कृत पाणिनी संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन में एलएस सोलंकी को भेजा गया है। जबकि रजिस्ट्रार होते हुए कमलाकर सिंह को प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। 


चार डीआर के पास नहीं विवि
डीआर में शैलेंद्र जैन को उच्च शिक्षा विभाग में ओएसडी के रूप में पदस्थ है। जबकि  सुनील खरे, डॉ. सुनीता देवरी और स्वाति वशिष्ठ की प्रतिनियुक्ति खत्म कर विभाग बुला लिया है। उन्हें अभी तक कोई विवि नहीं दिया गया है। 


और होंगे हालात खराब 
प्रदेश में सभी विवि की हालात बहुत ही ज्यादा खराब बने हुए हैं। सभी विवि की 37 हजार सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतें, परीक्षा और परिणाम के लेटलतीफी, विवि में कर्मचारियों और प्रोफेसरों के बढ़ते तनाव, डीआर रजिस्ट्रार के भरोसे एकेडमिक कैलेंडर भी बिगड़ चुका है। सिस्टम बिगड़ने के बाद भी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता दांव पर जरूर लग गई है। वहीं विभाग ने डीआर और प्रोफेसरों को को रजिस्ट्रार नियुक्त कर जोखिम जरुर उठा लिया है। 

Source : mp education

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